कविता - सब तुम्हारे लिए हैं सजन अगस्त 07, 2017यह हुस्न, यह मदभरी जवानी. यह गुलाबी खिलाखिला बदन. जुल्फों में महकती गजरे की खुशबू आंखों से छलकती मस्तियां सब तुम्हारे लिए हैं सजन. बांहों मे...
राम दरबार की रात जुलाई 19, 2017राम दरबार की रात राम दरबार में फिर इक् रात आई नौ-रूप को मुखरने का….. आँगन-तुलसी मुर्छित होने का ...
कविता - दहेजी दुल्हन बेटियाँ जुलाई 17, 2017 दहेजी-दुल्हन-बेटियाँ मैं परदेश हो गई अपने ही देश में,मैं विदेश हो गई बेटियाँ आखिर होती है क्...