गर्भधारण करना चाहती हैं तो ध्यान रखें ये 24 बातें
आपने परिवार बनाने या फिर उसे बढ़ाने का फैंसला ले ही लिया है और बहुत जल्दी आपके घर में कोई नन्हा मेहमान आने वाला है, तो आपको उसे बुलाने से पहले इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना होगा।
इससे पहले कि आपको शिशु के कदमों की आहट सुनाई दे, आपको कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए ताकि आप व आपका आने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ रहे। कुछ सुझावों की मदद से आप और आपके पतिदेव आने वाले समय के लिए स्वयं को पूरी तरह तैयार कर सकते हैं। यहां हम उन महिलाओं के लिए कुछ सुझाव पेश कर रहे हैं, जो गर्भ धारण करना चाहती हैं।
1. प्रसव पूर्व डाक्टर की तलाश :- आपको अपने लिए किसी प्रीनैटल डाॅक्टर की तलाश शुरू करनी होगी, हालांकि आप अभी गर्भवती नहीं है लेकिन आगे चल कर तो आप काफी व्यस्त होने वाली है, इसलिए पहले पूछताछ कर लें, राय लें और अपने लिए डाॅक्टर का मन ही मन चुनाव कर लें। यदि आपकी पहली गर्भावस्था में कोई परेशानी आई थी, समय से पहले या बाद में प्रसव हुआ था या एक से अधिक गर्भपात हो चुके हैं, तो अपने डाक्टर से कहें ताकि वही परेशानी फिर से खड़ी न हो जाए।
2. डेंटिस्ट से मुलाकात :- गर्भवती होने से पहले एक बार डेंटिस्ट के पास अवश्य जाएं क्योंकि आपकी भावी गर्भावस्था दातों व मसूड़ों पर अपना असर दिखा सकती है। गर्भावस्था के हार्मोन की वजह से दांतों व मसूड़ों की तकलीफें बढ़ सकती हैं। अध्ययन से यह भी पता चला है कि गर्भावस्था की जटिलताओं में, मसूड़ों के रोग भी शामिल होते हैं। बेबी को इस दुनिया में लाने से पहले स्वयं एक बार डेंटिस्ट के पास हो आएं। दांतों का एक्स-रे, फिलिंग या सर्जरी वगैरह करा लें क्योंकि गर्भावस्था के दौरान यह सब नहीं हो पाएगा।
3. परिवार- वृक्ष की जांच :- आपको अपने ‘फैमिली ट्री’ पर एक नजर डालने के अलावा पतिदेव के ‘फैमिली ट्री’ को भी देखकर पता लगाना होगा कि दोनों खानदानों में किसी रोग का इतिहास तो नहीं? ऐसे रोगों में डाउन सिंड्रोम, टे-शेक रोग, सिकल सैल एनीमिया, थेलीसीमिया, हीमोफीलिया, सिस्टिक फाइबरोसिस या फ्रेगाइल एक्स सिंड्रोम का नाम ले सकते हैं।
4. गर्भधारण से पहले जांच :- हालांकि आपको प्रसव पूर्व देखभाल करने वाले डाॅक्टर की जरूरत नहीं है। आप अपनी लेडी डाॅक्टर से मिल सकती हैं, जिनसे आप नियमित जांच करवाती आई हैं। इस जांच नियमित जांच करवाती आई हैं। इस जांच से किसी की मेडिकल कमी का पहले ही पता चल जाएगा और इलाज में आसानी होगी। डाॅक्टर आपको उन दवाओं से भी दूर रख पाएंगी, जिन्हें आपको गर्भावस्था के दौरान नहीं खाना चाहिए। अपने वजन, आहार, खान-पान की आदतें, जीवनशैली व टीकाकरण आदि विषयों पर उनकी राय ले लें। इस दौरान आपको अपने लिए कुछ टेस्ट कराने को भी तैयार रहना होगा। वे हैं-
- एनीमिया की जांच के लिए हीमोग्लोबिन या हिमैटोक्रिट जांच।
- आर एच फैक्टर, यह देखने के लिए कि आप पाॅजिटिव हैं या निगेटिव। यदि आप निगेटिव हैं तो साथी की जांच की जाएगी (यदि दोनों की जांच निगेटिव आए तो इस बारे में ज्यादा न सोचें)।
- ‘रूवेला टिटर’ रूवेला के लिए प्रतिरोध क्षमता की जांच के लिए।
- हेपेटाइटिस बी (यदि आपने इसका टीका नहीं लगवाया और आप कोई हेल्थ वर्कर हैं)।
- साइटोमैगालोवायरस एंटीबाॅडीज जांच, ताकि पता लग सके कि जांच क्या रही। यदि आपने इसका इलाज कराया हैतो इसके 6 माह तक गर्भ धारण न करें।
- टाॅक्सोप्लाज्मोसिस टिटर, आपकी कोई पालतू बिल्ली है, जो बाहर घूमती है, कच्चा मांस खाती है या आप दस्तानों के बिना बागवानी करती हैं। यदि टीका लगा हो तो इस बारे में घबराने की कोई बात नहीं है। यदि नहीं लगा हो, तो सावधानी बरतें।
- थाइराॅइड फंक्शन, इससे गर्भावस्था प्रभावित हो सकती है। यदि आपको या परिवार में किसी को यह रोग था या आपको इसके लक्षण दिखें तो इसकी जांच अवश्य कराएं।
- यौन जनित रोग यौन जनित सभी गर्भवती महिलाओं की नियमित रूप से यौन जनित रोगों (सिफलिस, गोमोरिया, कालमीडिया, हर्पीज एच पीवी तथा एच आई वी) कि जांच की जाती है। चाहे आप इन रोगों की ओर से निश्चित ही क्यों न हों लेकिन एक बार फिर भी जांच अवश्य कराएं।
5. इलाज करवाएं :- यदि किसी भी जांच में कुछ पता चले तो उसका इलाज अवश्य कराएं। कोई भी छोटी-मोटी सर्जरी या ऐसा कोई भी इलाज, जिसे आप टालती आ रही थीं, अब करवा लें। कहीं ऐसा न हो कि वह गर्भावस्था में समस्या पैदा कर दें। ऐसी परेशानियों में निम्नलिखित शामिल हो सकती है।
- यूटेराइन पोलिप्स, फिबराॅयड्स सिस्ट या बेनिगं टयूमर
- एंडोमीट्रिओसिस (जब गर्भाश्य के आसपास रहने वाली कोशिकाएं, शरीर में कहीं और फैल जाती हैं)
- पेल्विक इंफ्लामेटरी रोग मूत्राशय में बार-बार होने वाला संक्रमण या बैक्टीरियल वैजीनोसिस कोई एसटीडी रोग
6. जेनेटिक स्क्रीनिंग :- यदि किसी भी सिस्टिक अानुवंशिक रोग के बारे में पता चले तो डाॅक्टर से जेनेटिक स्क्रीनिंग के बारे में राय लें। यदि आप काकेसियन हैं तो सिस्टिक फाइबरोसिस, यहूदी-यूरोपियन हैं तो टे-शेक अफ्रीकी हैं तो सिकल सैल ट्रेस्ट या फिर ग्रीक, इटैलियन, दक्षिण पूर्वी एशियाई या फिलीपिनो मूल से हैं, तो आप थैलासीमिया रोग से ग्रस्त हो सकती हैं। पहले-कई गर्भपात होना, किसी रक्त संबंधी से विवाह होना, काफी समय तक गर्भ धारण न कर पाना जैसे कारणों में भी जेनटिक स्क्रीनिंग की आवश्यकता पड़ सकती है।
7. टीकाकरण करवाएं :- अगर आपने पिछले 10 सालों में अब तक टिटनेस-डिप्थीरिया बूस्टर का टीका नहीं लगवाया तो उसे लगवाएं। (रूबेला) मीज़ल्स मम्स और रूबेया का टीका न लगा हो तो उसे लगवाएं, फिर गर्भधारण के लिए एक महीना इंतजार करें। यदि आप पहले ही गर्भवती हो चुकी हैं, तो भी घबराने वाली कोई बात नहीं है। चाहे आपको हेपेटाइटिस बी या चिकनपाॅक्स का कोई डर नहीं है लेकिन अब इसके लिए प्रबंध करें। अगर आपकी आयु 26 साल से कम है तो एचपीवी की तीनों डोज़ लेनी होंगी इसलिए योजना बना कर ही चलें।
8. आयु का ध्यान रखें :- एक औसत स्वस्थ 25 वर्षीया युवती को गर्भ धारण करने में 6 महीने और अधिक उम्र की स्त्रियों को ज्यादा समय लग सकता है। यदि आपके साथी की उम्र अधिक है तो और भी अधिक समय लग सकता है। किसी भी डाॅक्टर की राय लेने से पहले कम से कम 6 महीने तक इंतजार करें। यदि आपकी आयु 35 से अधिक है तो आपको 7 महीने के इंतजार के बाद ही डाॅक्टर की राय लेनी चाहिए।
9. अनुमान लगाएं :- अपने मासिक चक्र और आव्यूलेशन का ध्यान रखें। ताकि आप सही समय पर संभोग करें फिर गर्भधारण के उचित समय अनुमान लगा सकें। संभोग का समय व तारीख लिखने से भी अनुमान लगाने में आसानी होगी।
10. क्राॅनिक रोगों पर काबू :- यदि आप मधुमेह दमा, हृदय रोग एपीलेप्सी या किसी भी क्राॅनिक यानी लंबे समय तक चलने वाले रोग से ग्रस्त हैं तो गर्भधारण से पहले डाक्टर की राय ले लें व अपने रोग पर काबू पाएं। अपना अच्छी तरह से ध्यान रखना शुरू कर दें। यदि आप जन्म से ‘फिनाइलकीटोनयूरिया’ से ग्रस्त हैं तो अभी से फिनाइलेलेनिन युक्त आहार लेना शरू कर दें और इसे गर्भावस्था में भी जारी रखें । यह आपके व शिशु के, दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा। यदि आपको एलर्जी शाॅटस की जरूरत पड़ती है तो इन पर अभी से ध्यान दें। अवसाद आपकी प्रसन्नता से भरपूर गर्भावस्था में बाधा दे सकता है इसलिए इसका पहले ही इलाज करवा लें।
11. बर्थ कंट्रोल बंद करें :- अपने कंडोम और डायफ्रागम फेंक दें (हालांकि गर्भावस्था के बाद उनकी फिर से जरूरत होगी) यदि बर्थ कंट्रोल करने की गोलियां, वैजाइनल रिंग या पैच इस्तेमाल कर रही हैं तो इस बारे में डाॅक्टर से राय ले लें। आपको इन्हें कई महीने पहले बंद करना होगा ताकि प्रजनन तंत्र सही तरह से काम करने लगे और दो मासिक चक्र सही तरीके से आ जाएं (उस दौरान कंडोम का इस्तेमाल करें) हो सकता है कि आपके मासिक चक्र को नियमित होने में दो-तीन या फिर उससे भी अधिक महीने लग जाएं। यदि आप ‘आई यूडी’ लगाती हैं तो इसे निकलवा दें। डेपोप्रोवेरा बंद करने के 6 माह तकइंतजार करें। कई महिलाएं तो इसे बंद करने के 10 माह तक भी गर्भवती नहीं हो पातीं। आप इसी के हिसाब से अपनी योजना बनाएं।
12. आहार में सुधार :- हो सकता है कि आप अभी से दो लोगों के लिए न खा रही हों लेकिन अच्छी आदत अपनाने में देर कैसी? आप अपनी फाॅलिक एसिड की खुराक लेना न भूलें। इससे गर्भाधारण की क्षमता बढ़ेगी। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि गर्भधारण से पूर्व, आहार में इस विटामिन की अधिक मात्रा लेने वाली गर्भवती स्त्रियों में ‘न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट’ का खतरा काफी घट जाता है। यह साबुत अनाज व हरी पत्तेदार सब्जियों व रिफाइंड अनाज में पायी जाती हैं लेकिन आपको इसे खुराक के तौर पर भी लेना होगा। इसके लिए डाॅक्टर से पूछें।
13. शेप-अप, लेकिन शांत रहें :- व्यायाम की दिनचर्या होगी तो आपके लिए अच्छा ही है। मांसपेशियां लचीली और मजबूत बनेंगी। फालतू वजन भी घटेगा लेकिन व्यायाम की भी अति न करें क्योंकि इससे ओव्यूलेशन में दिक्कत आएगी और आप गर्भवती नहीं हो पाएंगी। वर्कआउट के दौरान अपने आप को कूल रखें। हाॅट टब, साॅना, हीटिंग पैड और इलैक्ट्रिक केबल का अधिक इस्तेमाल न करें।
14. जंकफूड को बाय-बाय :- भोजन में फल, सब्जियों, कम वसा वाले डेयरी पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं। पुस्तक में दिए संतुलित आहार-योजना पर भी ध्यान दें। आपको गर्भधारण से पूर्व हर रोज दो सर्विगं प्रोटीन, तीन सर्विंग कैल्शियम और छह सर्विंग साबुत अनाज लेना होगा। आपको इसमें कैलोरी की मात्रा बढ़ाने की जरूरत नहीं है। मछली के बारे में दिए गए तथ्यों पर ध्यान दें, लेकिन इसे खाना बंद न करें क्योंकि इसमें काफी पोषक तत्व पाए जाते हैं। यदि आपके खानपान की कुछ आदतें, गर्भावस्था में परेशानी (व्रत रखना एनोरेक्सिया नवाॅस, बुलीमिया, विशेष आहार) पैदा कर सकती हैं, तो इसके बारे में पहले ही डाॅक्टर की राय लें।
15. प्रसव पूर्व विटामिन लें :- फाॅलिक एसिड की भरपूर मात्रा को भोजन में शामिल करने के बावजूद आपको गर्भधारण से दो माह पहले से प्रीनैटल पूरक के रूप में 400 एमसीजी की खुराक लेनी होगी। इसके कई फायदे हैं। अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं गर्भधारण से पहले या शुरूआती सप्ताहों में मल्टी विटामिन की खुराक लेती हैं, उन्हें उल्टी व जी मिचलाने जैसी शिकायत नहीं होती। इसमें 15 एमजी जिंक की मात्रा भी होनी चाहिए, जिससे गर्भधारण की क्षमता बढ़ेगी। हालांकि कुछ जरूरत से ज्यादा पोषक तत्वों की मात्रा नुकसान भी पहुंचा सकती है इसलिए डाॅक्टर से राय लेकर ही आगे बढ़ें।
16. वजन की जांच :- वजन कम या ज्यादा होना, ये दोनों स्थितियां ही गर्भधारण क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं यदि आपने गर्भ धारण कर भी लिया तो गर्भावस्था में कई तरह की जटिलताएं आ सकती हैं इसलिए जरूरत के हिसाब से कैलोरी की मात्रा घटाएं या बढ़ाएं। वजन घटाना हो तो धीरे -धीरे घटाएं और गर्भधारण की योजना को 2 महीने तक टाल दें। बहुत बड़ी और संतुलित डायटिंग आपको नुकसान पहुंचा सकती है। यदि कड़ी डायटिंग हो चुकी है तो अब संतुलित भोजन लेना शुरू कर दें ताकि नन्हा-मुन्ना एक स्वस्थ शरीर में अपना घर बना सकें।
17. रेडिएशन से बचाव :- जहां तक हो सके एक्स-रे-के दौरान अपने प्रजजन अंगों का ध्यान रखें। जब आप गर्भधारण करने वाली हों तो एक्स-रे करने वाले को बता दें कि शायद आप गर्भवती हैं इसलिए वह अपेक्षित सावधानी बरतें।
18. मेडिकल कैबिनेट की जांच :- कुछ दवाएं ऐसी होती हैं, जिन्हें गर्भावस्था से पहले व इसके दौरान लेना खतरनाक हो सकता है। यदि आप भी नियमित रूप से या कभी-कभी कोई दवा ले रही हैं तो इस बारे में अपने डाॅक्टर से राय ले लें। अगर कोई ऐसी दवा लेनी ही पड़े तो इसका विकल्प तलाशने का सही समय यही है। वैसे तो हर्बल या वैकल्पिक दवाएं प्राकृतिक मानी जाती हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे सुरक्षित ही होंगी। कई हर्बल दवाएं गर्भधारण में भी रूकावट बन सकती है। हर्बल डाॅक्टर की अनुमति के बिना ऐसी कोई दवा न लें व उन्हें आने वाली गर्भावस्था का संकेत दे दें।
19. कैफीन की मात्रा पर लगाम :- हम यह नहीं कह रहे कि आप कैफीन युक्त पदार्थ लेना बिल्कुल छोड़ दें। चूंकि आप गर्भवती होने की योजना बना रही हैं या गर्भवती हो चुकी हैं, तो भी आप दिन में दो कप कैफीनयुक्त काॅफी या कोई पेय पदार्थ ले सकती हैं लेकिन आप जरूरत से ज्यादा आदी हैं तो थोड़ा संभलें। कई अध्ययनों से पता चला है कि इसकी अधिक मात्रा से प्रजनन क्षमता घटती है।
20. एल्कोहल की मात्रा :- पीने से पहले थोड़ा सोंचें हालांकि गर्भावस्था से पहले दिन में एकाध पैग पीने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अधिक मात्रा लेने से गर्भ धारण करने में अधिक समय लग सकता है या परेशानी हो सकती है। हो सकता है कि आप गर्भवती हो चुकी हों, ऐसे में तो शराब पीने की बिल्कुल मनाही हो जाएगी।
21. धूम्रपान छोड़ें :- ये आपके अंडों को भीबूढ़ा करदेता है। जी हां गर्भधारण में मुश्किल आती है और गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है। धूम्रपान की आदत छोड़ दें, यह आने वाले शिशु के लिए अनमोल तोहफा होगा। धूम्रपान छोड़ने में कुछ व्यावहारिक सुझाव इसी पुस्तक में हैं। उन पर अमल करें और लाभ उठाएं।
22. पर्यावरण के खतरे :- कुछ रसायन भारी मात्रा में इस्तेमाल हों या आप उनके सम्पर्क में आएं तो गर्भ धारण से पहले या भ्रूण को बाद में नुकसान पहंुचा सकते हैं। काम के दौरान इन रसायनों का सावधानी से इस्तेमाल करें दवाएं दंत चिकित्सालय, कला, फोटाग्राफी, यातायात, खेतीबाड़ी, लैंडस्केपिंग निर्माण कार्य, हेयर ड्रेसिंग काॅस्मैटोलाॅजी, ड्राईक्लीनिंग व फैक्ट्री के कामों में विशेष सावधानी बरतें। यदि हो सके तो खतरे वाले स्थान से कुछ समय के लिए तबादला करवा लें।
23. वित्तीय स्थिति का ध्यान रखें :- यह काफी खर्चीली प्रक्रिया है इसलिए अपने साथी के साथ मिलकर पहले ही सारा बजट बना लें। अपने हैल्थ इंश्योरेंस से पता करें कि आपको प्रसव से पहले और बाद काखर्च मिलेगा या नहीं। यदि अभी ऐसी पाॅलिसी तैयार न हुई तो थोड़ा इंतजार कर लें। अगर आपने अभी तक ऐसी कोई पाॅलिसी नहीं कराई है तो उसे कराने का भी यही समय है।
24. विश्राम करें :- शायद यह तो सबसे जरूरी काम है। हालांकि आप आने वाले समय को लेकर काफी उत्तेजित और तनावयुक्त हैं लेकिन यही तनाव गर्भधारण में रूकावट बन सकता है। थोड़ा ध्यान व आराम देने वाला व्यायाम करें। जीवन से तनाव को अलविदा कह दें।
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